बहन की ननद की

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मेरा नाम अरुण है, आज में फिर से अपनी एक कहानी लेकर आया हूँ। ये करीब 3 साल पहले की बात है, तब में ग्रेजुयशन पूरा कर चुका था और एक कंपनी में नयी-नयी जॉब शुरू की थी। पापा–मम्मी बड़ी बहन के लिए लड़का पसंद करके आए थे और बड़ी बहन की सगाई तय हो गयी थी। अब 1 महीने के बाद सगाई थी। फिर हम सब घरवालों ने सगाई की तैयारी की और सगाई का दिन आ गया। मैंने अभी तक सामने वाले परिवार में किसी को नहीं देखा था, वो लोग रविवार के दिन 11 बजे हमारे घर आ गये थे। फिर पापा ने हमारा सबसे परिचय करवाया, उस परिवार में मेरे होने वाले जीजाजी, उनके बड़े भाई भाभी, उनके पापा मम्मी थे और साथ में जीजाजी के मामा मामी, उनकी मौसी और मौसी की बेटी ज्योति भी आए थे। फिर मेरा परिचय ज्योति से भी करवाया गया। फिर पूरा दिन सगाई के दौरान ज्योति मेरे साथ में ही खड़ी रही। अब में जहाँ जाता, तो वो मेरे पीछे आ जाती थी।
फिर शाम को जब वो लोग जाने लगे, तो तब ज्योति मेरे पास आई और बोली कि अरुण अब तुम जल्दी ही हमारे घर आना अगर मेरी दोस्ती पसंद हो। फिर थोड़े दिनों के बाद पापा ने कहा कि अरुण तुम्हें दीदी के ससुराल जाना है और वहाँ से उनके पंडित से मिलकर शादी की तारीख निकालनी है। फिर में दूसरे दिन सुबह 7 बजे बस से अहमदाबाद के लिए निकल गया। फिर सुबह 9 बजे गीत मंदिर बस स्टॉप पर उतरते ही मुझे सामने जीजाजी दिखे, वो मुझे लेने आए थे। फिर में उनके साथ पहले उनके घर गया और वहाँ चाय नाश्ता करने के बाद उनकी मम्मी ने कहा कि बेटा तुम मेरे भाई के घर उनसे मिलकर 2-3 तारीख दिसम्बर महीने की, जो वो बोले वो ले लेना। फिर में उनकी बात मानकर जीजाजी के साथ उनके मामा के घर जाने को निकल गये।
फिर 20 मिनट के बाद हम वहाँ पहुँच गये तो मैंने देखा कि ज्योति बाहर ही खड़ी थी। अब वो मुझे देखकर बड़ी खुश लग रही थी। फिर में उसके पास पहुँचा तो वो बोली कि तो तुम्हें मेरी दोस्ती पसंद है, मिलने आ गये। फिर में मुस्कुराया और अपनी गर्दन हिलाकर हाँ कहा। अब मामा तारीख निकाल रहे थे और ज्योति मेरे सामने बैठी मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। फिर मामा ने मुझे तारीख दे दी और बोले कि बेटा 4 महीने के बाद दिसम्बर की ये 3 तारीख मेरे हिसाब से शुभ है, पापा को बताकर जो ठीक लगे, वो हमें बता देना। अब जब में वहाँ से जाने के लिए निकल रहा था तो मामा ने जीजाजी से रुकने को कहा। फिर तब ज्योति ने कहा कि ठीक है में अरुण को बस स्टॉप पर छोड़ देती हूँ और फिर हम उसकी स्कूटी पर निकल गये।
फिर थोड़ी दूर जाने के बाद एक रेस्टोरेंट आया, तो उसने वहाँ अपनी स्कूटी को रोका और कहा कि चलो आज अकेले बैठकर कॉफी पीने का मौका मिला है। फिर तभी में कुछ समझता, उसके पहले वो अंदर चली गयी और फिर कॉफी पीने के बाद उसने मुझे बस स्टॉप छोड़ा और फिर में वड़ोदरा आ गया। फिर ज्योति रोज मुझसे फोन पर बातें करती। फिर 2 महीने के बाद नवरात्रि आई तो वो गरबा खेलने हर साल की तरह अपने मामा के घर आ गयी। मुझे गरबा आता नहीं था। फिर नवरात्रि के तीसरे दिन शाम को मेरे मोबाईल पर एक लोकल नंबर से कॉल आया, तो मैंने कॉल रिसीव किया, तो पता चला कि ज्योति के मामा बोल रहे थे, जो मेरे जीजाजी के भी मामा होते है। फिर उन्होंने कहा कि अरुण क्या तुम जरा मेरे घर आ सकते हो? तो में हाँ कहकर वहाँ पहुँच गया तो मैंने वहाँ ज्योति को देखा। अब वो मुझे देखकर खुश हो गयी थी। फिर मामा ने मुझसे कहा कि अरुण ज्योति कल यहाँ गरबा खेलने आई है फिर हमारे साथ सोसाइटी के गरबा देखो, क्या तुम उसे वड़ोदरा के किसी अच्छे गरबा दिखाने ले जा सकते हो अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो? फिर उन्होंने हँसते हुए कहा कि अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड को प्रोब्लम हो सकती है तो रहने देना। फिर मैंने कहा कि अंकल काम से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती तो गर्लफ्रेंड कहाँ से बनाऊँगा? और फिर मैंने कहा कि ठीक है रात के 9 बजे तैयार रहना, में तुम्हें लेने आ जाऊंगा और वहाँ से अपने घर आ गया।
फिर में 9 बजे ड्रेस पहनकर ज्योति को लेने पहुँच गया। अब वो तैयार थी, लेकिन अंदर थी। अब मामा मामी तैयार होकर बाहर निकल रहे थे। फिर मामा ने मुझसे कहा कि अरुण तुम बैठो, ज्योति अभी आएगी और फिर तुम दोनों आरती में आ जाना, हम लोग आरती में जा रहे है, तो में हॉल में जाकर बैठ गया। फिर थोड़ी देर के बाद ज्योति आई, तो में उसे देखता ही रह गया, वो घाघरा चोली में बहुत सेक्सी लग रही थी, उसने घाघरा ऐसे पहना था कि उसकी नाभि एकदम बीच में साफ दिखाई दे रही थी, उसकी चुनरी पारदर्शी थी, अब उसकी लो-कट चोली से उसके उभार साफ-साफ नजर आ रहे थे, जो उसकी चोली के बाहर निकलने को बेताब थे। फिर उसने बाहर आकर गोल घूमकर मुझसे पूछा कि में कैसी लग रही हूँ? तो मैंने देखा कि उसकी चोली पर पीछे सिर्फ़ 2 डोर ही थी और बाकी पूरा बदन पीछे से साफ-साफ दिख रहा था। फिर तभी मेरे मुँह से सेक्सी निकल गया, तो वो सुनकर हंस पड़ी और फिर मेरे पास आई और बोली कि सब तुम्हारा ही है ऐसे मत देखो। फिर हम आरती में गये और आरती के बाद मामा मामी की अनुमति लेकर हम लोग मेरी बाइक पर निकले तो सोसाइटी से बाहर निकलते ही वो मुझसे चिपककर बैठ गयी। अब इससे उसके 36 के साईज के बूब्स मेरी पीठ पर दबाव डाल रहे थे। अब इस कारण मेरा लंड टाईट हो गया था। फिर हम गरबा ग्राउंड पहुँचे और वहाँ 2 घंटे गरबा खेला और फिर उसके बाद ज्योति और में बाहर आए और वहाँ कोल्डड्रिंक पिया तो तभी वो बोली कि चलो कहीं जाकर बैठते है और शांति से बैठकर बातें करते है। फिर में उसे पास के एक गार्डन में ले गया, जहाँ हमारे जैसे बहुत कपल बैठे थे।
फिर हम जाकर एक अंधेरे कोने में बैठ गये। अब ज्योति एक कपल को देख रही थी, जो किस करने में मशगूल था। फिर मैंने ज्योति की तरफ देखा, तो वो मुझे देखने लगी। अब कोई कुछ बोल ही नहीं रहा था। फिर में अपने होंठ उसके होंठो के पास ले गया, तो उसने भी अपने होंठ मेरे होंठो के साथ सटा दिए। अब हम भी किस करने लगे थे। फिर अचानक से मेरा हाथ उसकी छाती पर चला गया और उसके बूब्स दबाने लगा। ज्योति ने उसका विरोध नहीं किया तो मैंने अलग होकर उसकी चुनरी हटाकर अपना हाथ उसकी चोली में डाल दिया और उसके बूब्स दबाने लगा। अब वो अपनी आँखें बंद करके इन्जॉय कर रही थी। अब वो अपने एक हाथ से अपनी चूत सहला रही थी। फिर मैंने उसका वो हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, तो तभी उसने अपनी आँखें खोली और कहा कि अरुण ये तो एकदम टाईट हो गया है और अब टाईट होकर कितना बड़ा हो गया है? तो फिर मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया और पीछे अपने हाथ ले जाकर उसकी चोली खोलनी चाही तो उसने मना किया और कहा कि यहाँ नहीं। फिर में थोड़ा नाराज हो गया और फिर हम घर के लिए निकले।
फिर दूसरे दिन में उसे ऐसे ही लेने गया और फिर आरती के बाद हम लोग जाने लगे। तो उसने मुझसे कहा कि घर चलो काम है। फिर घर जाकर उसने कहा कि लो आज में पूरी तुम्हारी होना चाहती हूँ, मुझे अपना बना लो और ऐसा कहते हुए उसने खुद ही अपनी चुनरी हटाकर अपनी चोली खोल दी। तो मैंने उसकी चोली खींच ली और उसे किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा। अब हम दोनों गर्म हो चुके थे। फिर उसने कहा कि आज मुझे पूरी औरत बना दो। फिर में उसकी नाभि चूमते हुए उसकी चूत पर चला गया और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। अब में अपनी जीभ से उसके जी-स्पॉट को सहला रहा था। अब वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद उसने मुझे ऊपर खींचना चाहा, तो में ऊपर आ गया। फिर उसने मुझे धक्का देकर खड़ा होने को कहा तो में अपने घुटनों पर बैठ गया। फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर चूसना शुरू किया। अब मेरा लंड एकदम टाईट हो गया था।
फिर मैंने उसके लंबे बाल पकड़कर उसे खड़ा किया और नीचे लेटा दिया और फिर में उसके ऊपर आ गया और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और ज़ोर से एक धक्का दिया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया, तो वो चिल्ला उठी। अब उसकी आँखों में पानी आ गया था। फिर मैंने दया ना करते हुए फिर से एक धक्का दिया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और फिर से एक और धक्का दिया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। अब वो चिल्ला उठी थी आअ अरुण में मर जाऊंगी, प्लीज इसे निकालो, प्लीज अरुण। फिर मैंने उसकी चूत को ऊपर से सहलाते हुए उससे कहा कि थोड़ी देर दर्द होगा, ज्योति सहन कर लो और फिर थोड़ी देर रुकने के बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने धीरे-धीरे मेरा लंड अंदर बाहर करना चालू किया। अब उसे भी मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वो भी मेरा साथ देने लगी और बोल रही थी आआआहह अरुण मज़ा आ रहा है, प्लीज और ज़ोर से करो अरुण। अब मेरे हाथ उसके बूब्स से खेल रहे थे और उसे ऐसे दबोच लिया था जैसे वो मेरे दुश्मन हो और उसे दबोचकर उसका पूरा दूध बाहर निकाल दूँ। अब में धीरे-धीरे गर्म होता जा रहा था। अब मैंने उसे पेट पर, नाभि के पास अपने दातों से काट लिया था और उसके बूब्स पर भी काटा था। अब वो चिल्ला रही थी अरुण चोदो मुझे, आज मुझे पूरा निचोड़ डालो। अब इस दौरान वो 3 बार झड़ चुकी थी। अब मेरा लंड अंदर बाहर करने से चप्प्प-चप्प्प्प की आवाज आ रही थी। अब में झड़ने वाला था। फिर यह बात उसे भी पता चली तो उसने कहा कि अरुण तुम्हारा ये पूरा अमृत मेरी चूत में डाल दो, एक बूँद भी बह ना जाए। फिर मैंने कहा कि ज्योति तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो? तो उसने कहा कि वो मेरी प्रोब्लम है, तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा। फिर मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया।
फिर हम शांत हुए और फिर में उसके ऊपर ही लेट गया। अब ठंड का मौसम होते हुए भी हम दोनों पसीने से तरबतर थे। फिर थोड़ी देर के बाद वो उठी और बाथरूम में जाने लगी तो में भी उसके पीछे चला गया। फिर उसने अपनी चूत साफ की तो तभी मैंने अपना लंड उसके सामने किया। तो उसने उसे भी साफ किया और अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अब मेरा लंड फिर से टाईट हो गया था तो में उसे उठाकर बाहर ले आया और उसे सोफे पर बैठा दिया। फिर मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधो पर रखे और अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसके बूब्स को मसलते हुए फिर से उसे चोदना चालू किया। फिर 40 मिनट तक उसे चोदने के बाद हम फिर से शांत हुए और सब साफ किया और अपने-अपने कपड़े पहने और सोफे पर बैठकर एक दूसरे को चूमते रहे और में उसके बूब्स दबाता रहा। फिर तभी उतने में मामा मामी आए और दरवाजा लॉक किया, तो हम अलग हुए। अब में टी.वी देखने का नाटक करने लगा था और फिर थोड़ी देर के बाद में अपने घर चला आया। फिर हमें जब कभी भी कोई मौका मिला, तो हमने खूब सेक्स किया और खूब मजा किया ।।
धन्यवाद

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